मुख्य परीक्षा

आपके मन में एक बड़ा सवाल यह उठता रहा होगा कि आखिर निबंध की तैयारी कैसे की जाए? इसके लिये कौन सी किताब पढ़ी जाए? तो यहाँ आपको स्पष्ट कर दें कि ऐसी कोई एक किताब नहीं है जिसे पढ़कर आप रातोंरात निबंध में पारंगत हो जाएँ। कोई ऐसी विधि भी नहीं है जिसे रटकर आप निबंध के प्रश्नपत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

सिविल सेवा परीक्षा के वर्तमान प्रारूप में निबंध लेखन में एक चुनौती यह आती है कि कम-से-कम शब्दों में पूरे विषय को स्पष्ट कैसे किया जाए? इसके लिये जो सबसे ज़रूरी बात है, वह है नियत समय व नियत शब्द-सीमा में लिखने का अभ्यास।

सबसे बड़ा सवाल निबंध के प्रश्नपत्र को लेकर यह है कि क्या पढ़ा जाए? पहले भी यह चर्चा की जा चुकी है कि इसके लिये कोई एक ऐसी किताब नहीं है। वस्तुतः निबंध आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का परीक्षण है। इससे आपकी संवेदना और आपकी सोच का पता चलता है।

इसके अलावा, कुछ प्रसिद्ध निबंधकारों के निबंध पढ़ें और यह समझने की कोशिश करें कि दिये गए विषय को किस तरह से लेखक ने कितने आयामों में बाँटा है और उसके क्या मनोभाव रहे हैं? ज़रूरी हो तो आवश्यक बातों को नोट भी करें।

कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों के कथन, शायरी, कविता भी याद कर लें, इनका एक संग्रह भी बना सकते हैं खासकर, गरीबी, न्याय, महिला, विज्ञान, धर्म, भ्रष्टाचार से जुड़े विषयों पर।

कैसे बनाएँ निबंध को रोचक?

निबंध को रोचक बनाने के लिये शायरी, कहानी, लोकोक्ति, श्लोक, संस्मरण, प्रसिद्ध विद्वानों के कथन या अन्य बातें जो आपको लगें कि विषय से जुड़ी हुई और प्रासंगिक हैं, उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

आप इनका इस्तेमाल निबंध की शुरुआत, मध्य या अंत में अथवा जहाँ भी उचित मालूम पड़े, कर सकते हैं। मगर इस बात का ध्यान रहे कि आपके द्वारा इस्तेमाल की गई कविता/कहानी विषय से जुड़ती हो, वह विषय से एकदम भिन्न न हो, या फिर यूँ ही इस्तेमाल न की गई हो।

इनका इस्तेमाल आपके निबंध को रोचक व प्रवाहमय बनाएगा और परीक्षक आपके निबंध को पढ़ते वक्त बोर भी नहीं होगा। विद्वानों के कथन आपकी बात को पुष्ट व प्रमाणिक बनाते हैं, कभी-कभी तो सीधे कोई काव्य पंक्ति या विद्वानों के कथन निबंध के विषय के रूप में पूछ लिये जाते हैं। इससे आप इनकी महत्ता समझ सकते हैं।

वस्तुतः निबंध का उद्देश्य आपके ज्ञान परीक्षण से अधिक आप के व्यक्तित्व का परीक्षण करना है। आप कैसे इंसान हैं? सिविल सेवक बनने के बाद आप आम जन की भावना और संवेदना से जुड़ पाएंगे या नहीं? आपके निबंध लेखन में ये भाव आपके लाख छिपाने के बाद भी अभिव्यक्त हो जाते हैं।

परीक्षार्थियों के समक्ष एक बड़ी समस्या इस बात को लेकर रहती है कि निबंध लेखन के समय हमारी विचारधारा क्या हो? क्या किसी खास विचारधारा का कोई असर पड़ता है? क्या हम सरकारी नीतियों का विरोध कर सकते हैं?

इसका सीधा-सा जवाब है कि हमारी विचारधारा चाहे जो भी हो, बस आम जन के विरोध वाली नहीं होनी चाहिये; किसी लिंग, जाति व धर्म के प्रति दुराग्रहपूर्ण नहीं होनी चाहिये, और अगर ऐसा है तो निश्चित रूप से इसका असर पड़ता है। जहाँ तक सरकारी नीतियों के विरोध की बात है तो उचित विरोध किया जा सकता है, मगर सिर्फ विरोध करने के लिये विरोध न करें।

  • Q. आगे बढ़ने का रहस्य, सफर की शुरुआत करना है।
  • Q. शिक्षा में निवेश पर सर्वोत्तम व्याज मिलता है।
  • Q. महिलाएँ ही समाज की वास्तविक निर्माता होती हैं।
  • Q. निरंतरता (Perseverance) का मूल्य, प्रतिभा का एक बेहतरीन विकल्प है।
  • Q. भविष्य उनका है जो अपने सपनों की उन्नति में विश्वास करते हैं।
  • Q. जो राष्ट्र अपने मूल / आधार को नष्ट करता है वह स्वयं को नष्ट कर लेता है।
  • Q. एक ही अच्छाई है, ज्ञान; एक ही बुराई है, अज्ञानता
  • Q. प्रायः मानव इस इस बात की अधिक चिंता करते हैं कि वे क्या नहीं देख सकते हैं बजाय इसके कि वे क्या देख सकते हैं।
  • Q. अक्सर हम घटनाओं को वैसा नहीं देखते, जैसी वे होती हैं बल्कि हम उन्हें वैसा ही देखते हैं जैसा हम देखना चाहते हैं।
  • Q. बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति, सभी खतरों में सबसे बड़ा खतरा है।
  • Q. गरीबी, क्रांति और अपराध की जननी है।
  • Q. राजनेताओं के अनावश्यक महिमामंडन से लोगों के ध्रुवीकरण को प्रेरणा मिलती है।
  • Q. शक्ति, ज्ञान रखने से नहीं बल्कि ज्ञान बांटने से आती है।
  • Q. जब तक कार्य पूरा न हो, वह हमेशा असंभव सा लगता है।
  • Q. मन की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है।
  • Q. जीने की सबसे बड़ी शान कभी न गिरने में नहीं, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है।
  • Q. स्वयं को एक निर्धारित पहचान के साथ ऐसे विश्व में बनाए रखना जिसमें लगातार आपको कुछ और बनाने की कोशिश की जा रही हो, सबसे बड़ी उपलब्धि है।
  • Q. शक्ति, शारीरिक क्षमता से नहीं आती है बल्कि यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।
  • Q. इंटरनेट, भविष्य के वैश्विक गाँवों हेतु शहरी केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है।
  • Q. सफलता अंतिम नहीं होती, असफलता घातक नहीं होती; आगे बढ़ते रहने की हिम्मत ही मायने रखती है।
  • Q. एक सफल जीवन का पूरा रहस्य, जीवन के साध्य का पता लगाने और फिर उसकी प्राप्ति में लग जाने पर केंद्रित है।
  • Q. स्वतंत्रता का कोई मूल्य (औचित्य) नहीं है यदि इसमें गलतियाँ करने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।
  • Q. भारत में लैंगिक दृष्टिकोण से संवेदनशील नीति निर्माण की आवश्यकता और इसमें निहित चुनौतियाँ।
  • Q. नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा एवं राज्य की जवाबदेहिता सुनिश्चित करने में भारतीय न्यायपालिका की भूमिका ।
  • Q. विवेकपूर्ण विदेश नीति हेतु व्यावहारिकता और अवसरवाद दोनों की आवश्यकता होती है।
  • Q. सतत विकास को बढ़ावा देने में 'नागरिक समाज संगठनों' की भूमिका ।
  • Q. जीवन एक ऐसी परीक्षा है जहाँ पाठ्यक्रम अज्ञात होने के साथ प्रश्नपत्र भी निर्धारित नहीं होते हैं।
  • Q. गुलामी की बेड़ियाँ, आजादी की चाह से ज्यादा मजबूत कभी नहीं हो सकती हैं। 2. वामपंथी उग्रवाद के अभिशाप का सामना केवल
  • Q. विकास और प्रतिरोध की दोहरी रणनीति के माध्यम से ही किया जा सकता है।
  • Q. भारत में न्याय की अंतहीन प्रतीक्षा।
  • Q. विजेता वे नहीं होते जो कभी असफल नहीं होते हैं बल्कि विजेता वो हैं जो कभी हार नहीं मानते हैं।
  • Q. ई-गवर्नेस : सबसे आसान, प्रभावी और मितव्ययी शासन है।
  • Q. वास्तव में "प्राकृतिक आपदा" कुछ नहीं हैं बल्कि यह केवल अपर्याप्त रूप से नियोजित मानव बस्तियाँ हैं।
  • Q. इतिहास में शासन कला के सारे रहस्य छिपे हैं।
  • Q. शांति को बलपूर्वक अपने पास नहीं रखा जा सकता है लेकिन आपसी समझ से इसे हासिल किया जा सकता है।
  • Q. आप बातचीत के एक वर्ष की तुलना में एक घंटे के खेल में किसी व्यक्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • Q. कठिनाई जितनी अधिक होगी, उसे पार करने के बाद महिमामंडन भी उतना ही अधिक होगी
  • Q. भारत और चीन एशियाई भू-राजनीति का केंद्र हैं।
  • Q. संघर्ष करने वाला कभी प्रयास न करने वाले से बेहतर होता है।
  • Q. गणना केवल अंकगणित नहीं बल्कि जीवन है।
  • Q. अमान्य अंधाधुंधता प्रकृति का सत्य है।
  • Q. इतिहास युद्ध में विजेताओं द्वारा निर्धारित किया जाता है न कि पराजितों द्वारा।
  • Q. तकनीकी परिवर्तन और बढ़ते घरेलू बोझ ने निजी पितृसत्ता को सार्वजनिक पितृसत्ता में बदल दिया है।
  • Q. जलवायु परिवर्तन और जीवनशैली
  • Q. िना जाँचा-परखा गया जीवन जीने के लायक नहीं है।
  • Q. पर्यावरण प्रदूषण गरिमामय जीवन जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • Q. जिज्ञासा ज्ञान की जननी है।
  • Q. सब कड़वा ज़रूर होता है, लेकिन इसका फल मीठा होता है।
  • Q. इतिहास में शासन कला के सारे रहस्य छिपे हैं।
  • Q. शांति को बलपूर्वक अपने पास नहीं रखा जा सकता है लेकिन आपसी समझ से इसे हासिल किया जा सकता है।
  • Q. 'ज्ञान' और 'समझ' के मध्य अंतर ही 'मतभेदों' को समाप्त करने का उपाय है।
  • Q. "अंधकार प्रकाश की नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की अनुपस्थिति है।"
  • Q. "यदि दुनिया भिन्न है, तो हमें उसके अनुसार सोचने, बात करने और संलग्न होने की आवश्यकता है। अतीत पर निर्भर रहने से भविष्य में मदद मिलने की संभावना नहीं है।" - डॉ. एस जयशंकर
  • Q. जो कोई भी सत्ता में होता है, उसे जवाबदेही से नफरत होती है।
  • Q. नवाचार परिवर्तन को एक अवसर के रूप में देखने की क्षमता को प्रदर्शित करता है - खतरे के रूप में नहीं।
  • Q."नेतृत्व प्रभारी होने के बारे में नहीं है। यह उन लोगों की देखभाल करने के बारे में है जो आपके प्रभार में हैं ।"
  • Q. डर के साथ जीना हमें जोखिम लेने से रोकता है, और यदि आप टहनियों तक नहीं जाते हैं, तो आपको कभी भी सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।
  • Q. ख़ुशी तब होती है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं उनमें सामंजस्य हो।
  • Q. आप किसी व्यक्ति को कुछ भी नहीं सिखा सकते, आप केवल उसे स्वयं में इसे खोजने में मदद कर सकते हैं।
  • Q. यदि आप प्रशंसा करते हैं तो बुरा करते हैं, परन्तु जिस बात को आप नहीं समझते, उसकी आलोचना करते हैं तो और भी बुरा करते हैं।
  • Q. वैज्ञानिक अन्वेषण (Scientific Pursuits) सामाजिक विकास के पथ को आकार प्रदान करते हैं।
  • Q. जब भी स्वतंत्रता और न्याय के बीच पृथक्करण किया जाता है, मेरी राय में, कोई भी सुरक्षित नहीं होता है ।
  • Q. अच्छे इतिहास को महसूस करने का उपाय बुरा इतिहास महसूस करना नहीं, बल्कि ईमानदार और समावेशी इतिहास है ।
  • Q. सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल भारतीय समाज की बुनियादी आवश्यकता है।
  • Q. ज्ञान को बुद्धिमता समझने की भूल कभी न करें, एक आपकी आजीविका कमाने में मदद करता है, दूसरा आपका जीवन बनाता है।
  • Q. "जब हम किसी परिस्थिति को बदलने में सक्षम नहीं होते हैं, तो हमें खुद में बदलाव करने की आवश्यकता होती है।"
  • Q. "जोखिम लेने का मतलब जिम्मेदारी से भागना नहीं है, बल्कि संभावनाओं को आत्मसात करना है।"
  • Q. "यात्रा वह है जो हमें खुशी देती है, मंजिल नहीं"
  • Q. आधुनिकतावाद और हमारा परंपरागत सामाजिक-नैतिक मूल्य
  • Q. भारत के लिए वैश्वीकरण के निहितार्थ
  • Q. भारत में भाषा संबंधी समस्या: पूर्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
  • Q. केवल सशक्तिकरण हमारे देश की महिलाओं के लिए सहायक सिद्ध नहीं हो सकता
  • Q. सत्य की शिक्षा नहीं दी जाती है वरन यह अन्तर्निहित ही होता है
  • Q. एक आदर्श वैश्विक व्यवस्था के संबंध में मेरा दृष्टिकोण
  • Q. अच्छा बुरा स्वयं में कुछ नहीं होता है, केवल विचार ही अच्छा बुरा बनाते हैं
  • Q. जब पैसा बोलता है तो सत्य मौन हो जाता है
  • Q. वर्षा हुई जब कृषि सुखाने
  • Q. अभिवृत्ति आदत को बनाती है, आदत चरित्र को बनाती है और चरित्र आदमी को बनाता है
  • Q. अनुशासन का अर्थ सफलता और अराजकता का अर्थ विनाश होता है
  • Q. जो बदलाव आप दूसरों में देखना चाहते हैं पहले स्वयं में लाइए
  • Q. सभ्यता की प्रगति से संस्कृति का हास होता है
  • Q. केवल शक्ति एवं अधिकार ही औरतों की मदद नहीं कर सकते
  • Q. डॉ. भीम राव अम्बेडकर जीवन दर्शन
  • Q. जयप्रकाश नारायण एक विद्रोही
  • Q. शहीद खुदीराम बोस की वीरगाथा
  • Q. लाला लाजपत राय
  • Q. भारतीय एकता के सूत्रधार-सरदार पटेल
  • Q. सर सुरेंद्रनाथ बनर्जी : प्रथम राष्ट्रीय नेता की निर्माण यात्रा
  • Q. स्वामी विवेकानंद : भारत के युवा प्रेरक
  • Q. महात्मा गांधी : एक प्रवासी भारतीय के सत्याग्रही महात्मा बनने की यात्रा
  • Q. स्वामी सहजानन्द सरस्वती जमीन के किसान नेता
  • Q. कर्पूरी ठाकुर : एक जननेता

Q. की हंसा मोती चुने, की भूखे मर जाए

Q. जे गुड़ खाई उ कान छेदाई

Q. विन घरनी, घर भूत का डेरा

Q. राजा दुःखी प्रजा दुखी, जोगी के दुख दूना

Q. पहिरने ओढ़ने कनियाँ पर, निपने पोतने आँगन घर निरबंस आछा लेकिन बहुवंस नाही आछा

Q. सोनरा के सेवने कान दुनु सोन, बनिया के सेवने छजल भरि नून

Q. कोढिया उठला त भैर धर तमला

Q. सरलौ भुन्ना त रहू के दुन्ना

Q. पैसा नय कौड़ी आ बीच बजार में दौड़ी दौड़ा

Q. हर बहय से खर खाय, बकरी खाय अचार

Q. मर्खक लाठी बिच्चे कपाट

Q. बाप छल पेट से, पूत गेल गया

Q. कनियाँ बरक झगड़ा, पंच भेल लबरा

Q. पैसा न कौड़ी आ बीच बाजार में दौड़ी-दौड़ी

Q. माय करै कुटान-पीसान, बेटा के नाम दुर्गादन्त

Q. नय मारि माछ ने, नय उपछी खत्ता

Q. हम चरावी दिल्ली आ हमरा चरबय धरक बिल्ली

Q. सब सखो झुमैर खेलै, लूल्ही कहैय हम हूँ

Q. आन्हर गुरु, बहीर चेला, मांगे गुड़ तठ देवे ढेला

Q. लाठी कपारे भेंट नाहीं अडरी बाप-बाप चिल्ला

Q. धान गिरे बढ़ भाग, गेहूँ गिरे दुरभाग

Q. बाढ़े पूत पिता की धरमा, खेती उपजे अपनी करमा